अनिद्रा तथा अन्य नशों के बारे में कुछ पंक्तियाँ




कोई रात हो.ख़ूब बारिश होदिखाई ना देती होसुनाई देती होवह आधी नींद से उठा देतुम प्रेम करते हुए थक कर सोए थेसिहर कर रो चुकने के बादतुम्हारे आसपास भीनी गंध बिखरी हैतुम्हारी देह से हवा के सटने का एहसास बार बार होता हैतुम्हारी पीठ की तस्वीर खींचने पर वह एक श्वेत श्याम गहरे रंग के पेड़ के तने की तरह दिखाई देगीवह तुमको उठाती हैसुबह के लगभग तीन बज चुके हैंतुम जितनी देर सोए थे वह तुम्हारी साँस सुनती रही थीतुमसे प्रेम है यह कहती रही थीइस आनंद से भरती रही भीतर ही भीतर कि वह तुमसे इतना प्रेम कर पायीवह तुमको उठाती हैउसके तलवे तुम्हारे तलवे धीमे से सहला रहे हैंउसकी ठंडी देह से जो ताप निकलता हैउससे तुम्हारे अंग झुलस से जाते हैं लेकिन तुम दूर नहीं हटना चाहतेतुमको उसकी साँस में जो गंध हैउसका नशा है. 


वह तुमको अपनी अनिद्रा  उधार देगी ज़िंदगी भर के लिए जब वह किसी और की बाहों में बहुत दूर सोयी होगी.

फ़िलहाल वह तुम्हारी बाहों में हैसुबह के तीन बजने वाले हैं और वह कहेगी कि कोई कविता सुना दोफिर भले ही सो जानाऔर तुम किसी के कानों को नहींउसकी गर्दन , उसके कंधे , उसके बालोंउसके वक्षों  को कविता सुनाओ.रुक रुक करयह पाठ तुम्हारी  ज़िंदगी का सबसे बुरा पाठ होगा . हर बार बीच में चुम्बनों की वजह से रुकावट आती होगीहर बार गला रुँध जाता होगा . कोई स्वाद तुम्हारा ध्यान कविताओं से खींच लेता होगाकविता सिर्फ़ तब ही काम आती होगी जब तुम्हारा नशा टूटने लगता हो. 


कविताओं का दुनिया में एकमात्र यही प्रयोजन हैबाक़ी सब प्रयोजन इसी एक क्षण तक पहुँच पाने की विफलता की वजह से बनते हैंबहुत क़िस्मत से यह मौक़ा तुम्हारी ज़िंदगी में आया हैकिसी भी कविता के लिए इससे ज़्यादा की चाह मत रखोकिसी भी प्रेम से इतने ज़्यादा दुःख से कम की चाह भी मत रखोजो तुम्हें जगाए रखेगा अपने जाने के बाद भीबस वही सुंदर हैमंचों के लिए नहींसिर्फ़ इसी के लिए तुमने शब्दों से खेलना शुरू किया था ताकि तुम वह ख़रीद पाओ जिससे तुम वंचित रहे होसुनते सुनते उसको भविष्य की चिंता होती हैलजाई हुई भी उसको ऐसा लगता है  कि उसकी साँस रुक रही हैउसकी बड़ी आँखें मुँद मुँद जाती हैंतुम आँखों से नहीं हाथों से देखते होतुम्हारे होंठ दो इच्छाओं के बीच उलझे हुए हैंतुम्हारी आवाज़ को दो अलग बहाव खींचते हैंतुम दोनों जब सबसे ज़्यादा जीवन से भरे होउसी क्षण में तुमको मौत की आकाँक्षा होतुम मर जाना चाहते हो. 


स्मृति में जितनी बार यह एक दृश्य दोहराया जाएगाकभी भी अपने उफ़क तक नहीं पहुँचेगाफिर यह यात्रा तुम्हारे लिए सम्भव नहीं होगीवायलिन की भारी आवाज़ जैसे बहुत दूर से आती हैतुम्हारे सीने पर उसके दांतों के निशान चमक रहे हैंतुम्हारी देह अभी भी हल्के हल्के कांपती हैउसका एक एक रेशा ज़िंदा हैवह सो चुकी है गहरी नींदअपनी पीठ तुम्हारी बाँहों से सटाएआज रात वह अपनी पूरी दुनिया छोड़ कर आयी है तुम्हारे पासउसके कानों के मुलायम कोणों को चूमोवह इतनी गहरी नींद में है कि हिलेगी भी नहींआज तुम उसकी दुनिया होइसका भार पूरी ज़िंदगी तुमको महसूस करना हैअगर तुम एक बार और रोना चाहो तो रो लोरोना आज तुम्हारे होने को स्थापित करता हैवह कल खो जाएगी और फिर तुम कभी किसी के लिए ऐसे कविता नहीं पढ़ोगेकोई फिर अपनी अनिद्रा तुम पर खर्च नहीं करेगा. 


ज़िंदगी में जितने नशे तुम्हारे हिस्से आगे आएँगे 

इसी एक रात के फिर दोहराए जाने की इच्छा लिए आएँगे. 

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